क्या खो गया किस चीज से डर गया हूँ मैं। क्या खो गया किस चीज से डर गया हूँ मैं।
बेहतर के चक्कर में कुछ ना कर पाया, उसकी नाकामयाबी के जनाजे निकल गए। बेहतर के चक्कर में कुछ ना कर पाया, उसकी नाकामयाबी के जनाजे निकल गए।
ये शाम नहीं मंत्र मुग्ध करते लम्हों की कशिश है। ये शाम नहीं मंत्र मुग्ध करते लम्हों की कशिश है।
सुबह की भोर वो सूरज की बाँहों में हम घिरे महकती जुल्फों में तुम हमारे उलझे। सुबह की भोर वो सूरज की बाँहों में हम घिरे महकती जुल्फों में तुम हमारे उलझे।
मन में ये सारे आयाम तरंग बनके आए। मन में ये सारे आयाम तरंग बनके आए।
सुबह का तो हाल ही मत पूछो, उसे चेहरा तुम्हारा नहीं भूलता, सोया सा मासूम सा,आखें मलते देखती थी तुम सुबह का तो हाल ही मत पूछो, उसे चेहरा तुम्हारा नहीं भूलता, सोया सा मासूम सा,आखें ...